आँसू
डाक्टर . वोलेटि नरसिंह रावु
आँसू आँसू हर्ष में तपन में टप टप कर तू गिरता
छिप छिप कर उबल कर आता तू दिल के कथा कहलाता ||
हर्षातिरिक से तू आता तब सुख का हिस्सा बन जाता ||
जब बच्चा रोगग्रस्त होता उन की बाधा देखी न जाती
तू उबल उबल कर आता तब दुःख का हिस्सा बन जाता ||
करुणाकर की याद में सांत्वना में भी तू आता ||
चाहे तो ग्लिसरिन
से तू बाहर आता
मगर पत्थर दिल में
कहाँ समाता ||
हैरत तू कभी न आता तब तू कहाँ छिप जाता ||
किसी का खेद पात में कभी कभी क्यों प्रस्तुत होता ? ||
तू किसी किसी में स्वाधीन किन्तु हिंसक में पराधीन ||
तब दानव फरिस्ता बन जाता जग में कुछ शांति के प्रबंध होता ||
डाक्टर . वोलेटि नरसिंह रावु (V. Narasimharao) Plot No: - B 86,
Dayalnagar ,
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